गर्मी में हाईवे पर गाड़ियों के टायर्स क्यों फटते हैं, यहां जानें असली वजह

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वीकेंड पर लोग अपनी गाड़ी से रोड ट्रिप करने निकल जाते हैं, ताकि सफ़र का मज़ा लिया जा सकते। लेकिन अक्सर देखने में आता है कि हाईवे पर गाड़ी के टायर्स फट जाते हैं या यूं कहें कि टायर्स ब्लास्ट हो जाते हैं, जिसकी वजह से भयंकर हादसों को अंजाम मिलता है। अब इसके पीछे कई कारण होते हैं यह बात जल्दी से लोगों को समझ नहीं आती, उन्हें लगता है कि टायर्स में ही कुछ गड़बड़ी होगी, तभी ये ब्लास्ट हुए है। लेकिन ऐसा कई बार नहीं  होता। दोस्तों इस रिपोर्ट के जरिये हम आपको बताने जा रहे हैं कि उन कारणों के बारे में जिनकी वजह से टायर्स ब्लास्ट हो जाते हैं।

टायर फटने के बड़े कारण

वैसे तो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुसार टायर्स में 25PSI से ज्यादा हवा नहीं भरवानी चाहिए, लेकिन भारत में लोग गाड़ी में ज्यादा माइलेज के चक्कर बिना जानें टायर्स में 35-40 PSI और इससे भी ज्यादा हवा डलवाते हैं। अब ज्यादा हवा डलवाने से टायर्स के अन्दर प्रेशर बनता है और जब गाड़ी गर्मी में हाईवे पर लगातार चलती है रहती है तब यह प्रेशर और भी ज्यादा बढ़ जाता है जिसकी वजह से टायर ब्लास्ट यानी फट जाता है। इसलिए हमेशा गाड़ी के सभी टायर्स में उतनी ही हवा डलवानी चाहिये जितना कंपनी ने बताया है, और अगर आपको इसलिए जानकारी नहीं है तो आप सिर्फं 25-30PSI से ज्यादा हवा टायर्स में नहीं डलवायें। गर्मी में कोशिश कीजिये कि टायर्स में निर्धारित PSI से कम हवा डलवाएं, ऐसा करने से टायर्स के फटने की आशंका काफी कम हो आएगी, और आप सुरक्षित ड्राइव का मज़ा ले सकेंगे। 

ओवरलोडिंग करने से बचें

कार हो बाइक कभी, ओवरलोडिंग करने बचें, गाड़ी में उतना ही सामान रखना चाइये जितना वाहन की कैपसिटी है। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है। और यदि टायर्स थोड़े खराब हुए तो इनके फटने के चांस बढ़ जाते हैं। 

अगर टायर्स घिस गये हैं तो तुरंत बदल लें

अक्सर आपने देखा होगा कि लोग अपनी कार में पुराने और घिसे पिटे टायर्स को लगातार यूज़ करते हैं,  अक्सर ऐसे टायर्स पंचर ज्यादा होते हैं और जल्दी गर्म होने की वजह से फट जाते हैं। इसलिए गर्मी में तो जरूर खराब टायर्स को तुरंत बदलवा लें वरना बाद में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

टायर बदलने का सही समय

वैसे तो टायर को 40,000 किलोमीटर चलने के बाद बदल देना चाहिए। लेकिन अगर टायर की कंडीशन बेहतर हो तो इन्हें थोड़ा और चलाया जा सकता है। वाहन नियमों के की मानें तो, टायर पर बने खांचे (ट्रेड) की गहराई 1.6 मिमी रह जाए तो टायर बदल दिया जाना चाहिए। टायर्स उम्र पांच साल होती है।

ऐसे करें टायर्स की देखभाल

कार हो या बाइक हफ्ते में एक बार टायर्स में हवा का प्रेशर जरूर चेक करें। टायर्स में हवा उतनी ही रखें जितनी कंपनी ने बताई है। कम हवा या ज्यादा हवा से भी टायर्स के साथ गाड़ी को नुकसान होता है। इससे माइलेज पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा हर 5000 किलोमीटर के बाद  व्हील अलाइनमेंट चेक कराते रहना चाहिए। टायर साफ करने के लिए पेट्रोलियम बेस्ड डिटरजेंट या केमिकल क्लीनर का प्रयोग न करें। पानी से टायर्स को साफ किया जा सकता है।

टायर्स के लिए वरदान है नाइट्रोजन हवा

नाइट्रोजन हवा नार्मल हवा की तुलना में ज्यादा ठंडी होती है। जिसकी वजह से टायर्स हर मौसम में बेहतर परफॉर्म करते हैं,इतना ही नहीं ड्राइव करने में सुविधा रहती है और टायर्स की लाइफ भी बेहतर बनती है। एक समान रहता टायर के भीतर का तापमान। जिन टायर्स में नाइट्रोजन हवा भरी होती है उनके भीतर का  का तापमान एक समान बना रहता है  जिससे इसके रिवास होने के चांस भी कम होते हैं। यानी जब टायर्स में हवा का दबाव एक समान रहेगा तो माइलेज और परफॉर्मेंस दोनों बेहतर होंगी। और गाड़ी भी हल्की चलती है।

टायर्स के ब्लास्ट होने का खतरा होता है इतना कम

एक्सपर्ट मानते हैं कि जिन टायर्स में नाइट्रोजन हवा भरी होती है, उनके फटने की संभावना करीब 90 फीसदी तक कम हो जाती है। इतना ही नहीं हाइवे पर टायर्स सुरक्षित रहते हैं। जबकि अगर आप टायर्स में नार्मल हवा भरवाते हैं तो लंबे समय तक ड्राइव करने के दौरान उच्च तापमान के कारण टायर्स  के ब्लास्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।

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