
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platform ) पर कोई न कोई ऑफर हमेशा चलते रहता है। मगर ध्यान रहे कि यहां फ्रॉड भी खूब है। ऐसे में अगर ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, तो बेहद सावधान रहने की जरूरत है। साइबर सिक्योरिटी फर्म मैकफी के मुताबिक, लगभग 56 फीसद भारतीय डिस्काउंट स्कीम की वजह से ऑनलाइन शॉफिंग फ्रॉड (online shopping frauds) के शिकार हुए। वैसे भी कोविड-19 (Covid-19) की वजह से ऑनलाइन खरीदारी के लिए लोग मजबूर भी हुए हैं। ऐसी स्थिति में ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान काफी सावधान रहने की जरूरत है।
नए वेबसाइट पर शॉपिंग
अगर आप ऑफर्स की लालच में किसी अनजान या फिर नई वेबसाइट से खरीदारी कर रहे हैं, तो आपको यहां पर थोड़ी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। सेलर का कॉन्टैक्ट डिटेल, वेबसाइट, ईमेल आइडी और नंबर आदि को चेक कर लेना चाहिए। प्रोडक्ट के स्पेसिफिकेशंस और रिटर्न पॉलिसी को भी देख लें। इसके बाद संभव हो तो अन्य वेबसाइट्स पर कीमतों की तुलना करें। रेटिंग और समीक्षा पर गौर कर लें। ज्यादा रिव्यू वाले प्रोडक्ट आमतौर पर अधिक प्रामाणिक होते हैं। अगर किसी नई वेबसाइट से शॉपिंग कर रहे हैं, तो कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन ज्यादा बेहतर होगा। हालांकि इन दिनों कोविड की वजह से कई वेबसाइट्स ने इस विकल्प को बंद कर दिया है।
प्रोडक्ट डिटेल्स को ठीक से पढ़ें
एक व्यक्ति ने महंगा गैजेट खरीदा। उसने सोचा कि गैजेट के लिए उसने बड़ी कीमत खर्च की है, लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि जो गैजेट्स उसने खरीदा है, वह रिफर्बिश्ड प्रोडक्ट है। दरअसल, वह स्पेसिफिकेशंस पढ़ने से चूक गए थे, जिसमें उल्लेख किया गया था कि यह प्रोडक्ट सेकंड हैंड या प्री-यूज्ड है। कुछ आइटम रिटर्न नहीं होते हैं। आमतौर पर वेबसाइट इसका उल्लेख करती हैं। इसलिए प्रोडक्ट की खरीदारी से पहले स्पेसिफिकेशंस या डिटेल्स को अच्छे से पढ़ लें।
डॉक्यूमेंटेंशन का ध्यान रखें
प्रोडक्ट्स से जुड़े सभी तरह के कागजात जैसे कि बिल, वारंटी कार्ड, एग्रीमेंट कॉपी, वर्किंग मैनुअल्स आदि को संभाल कर रखें। अगर प्रोडक्ट में कोई दिक्कत है, तो मैन्युफैक्चरर और सर्विस प्रोवाइडर लिखित रूप में संवाद करना शुरू करते हैं। प्रोडक्ट पेज का स्क्रीनशॉट और इनवॉयस को सहेज कर रखना एक अच्छा एहतियात है। उपभोक्ता अदालत में जाने के लिए भी इन कागजात की जरूरत पड़ेगी।
इन बातों को न करें नजरअंदाज
- यदि दूसरी वेबसाइट से प्रोडक्ट की तुलना करने पर कीमतें सही हैं, तो फिर परेशान होने की जरूरत नहीं है।
- रिटर्न पॉलिसी सही है या नहीं, उसका ध्यान रखें। मैन्युफैक्चरर डिटेल और प्रोडक्ट स्पेसिफिकेशंस का ध्यान रखें। सेलर का कॉन्टैक्ट डिटेल हैं या नहीं
उसे जरूर जांच लें। - इंटरनेट पर घोटालेबाज खरीदारों को धोखा देने के लिए लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों की तरह ही दिखने वाले एक जैसे डोमेन नेम बनाते हैं। इसलिए पुष्टि
करें लें कि यूआरएल में https के साथ लॉक आइकन जरूर हो। वेबसाइट की स्पेलिंग की जांच भी जरूर कर लें। - सुनिश्चित करें लें कि वेबसाइट, सेलर और पेमेंट मोड सुरक्षित हों। केवल बड़े और प्रतिष्ठित ऑनलाइन रिटेलर से खरीदना सुरक्षित रहता है।
- कई अच्छी कंपनियां फेक रिव्यू के जरिए प्रोडक्ट बेचने वाले सेलर को ब्लैकलिस्ट कर देती हैं। इसलिए उन सेलर से प्रोडक्ट खरीदना बेहतर रहता है, जो कई वर्षों से हो और उनकी रेटिंग्स भी अच्छी हो।
- किसी विशेष डोमेन नाम का मालिक कौन है और वह वास्तविक है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए https://registry.in/WHOIS पर विजिट कर सकते हैं। यहां पर रजिस्टर्ड डोमेन को सर्च किया जा सकता है। यदि वेबसाइट पर कॉन्टैक्ट डिटेल नहीं है और कोई स्पष्ट रिटर्न पॉलिसी नहीं है, तो उस वेबसाइट से दूर रहने में भी भलाई है।
- अगर आप चाहें, तो https://www.scamadviser.com पर कंपनी की ट्रस्ट रेटिंग की भी जांच कर सकते हैं, जो यह बताती है कि उस कंपनी या फिर वेबसाइट से खरीदारी करना कितना सुरक्षित है।
- ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान जोखिम को कम करने के लिए बहुत कम क्रेडिट सीमा वाला एक अलग कार्ड रखें।