
गर्मियां आ गई हैं और हर कोई अपने लिए कूलर खोज रहा है। हो सकता है कि आप भी अपने ऑफिस या घर के लिए कोई अच्छा सा कूलर खरीदने का प्लान बना रहे हों और मार्केट में ढेर सारे विकल्प मौजूद होने के कारण आप भी कन्फ्यूज हो गए हों। अपने लिए जरूरत के हिसाब से अच्छा कूलर खरीदने और पैसों का पूरा इस्तेमाल करने के लिए जरूरी है कि आपको कूलर के बारे में छोटी से छोटी बात पता होनी चाहिए। गर्मियों में हर किसी के सामने एक समस्या होती है कि कोई अच्छा कूलर चुनते वक्त कौन-कौनसी बातों का ध्यान रखा जाए। इसलिए अपनी इस खास रिपोर्ट में हम आपको हर छोटी से छोटी जानकारी देकर आपकी सारी कन्फ्यूजन दूर करेंगे। चलिए हम आपको बताते हैं वे काम की बातें जो एक नया कूलर खरीदते वक्त आपको ध्यान में रखनी चाहिए…
जरूरत और मौसम के हिसाब से कूलर का चुनाव
आप ये देखें कि आपके इलाके में मौसम कैसा है? उस हिसाब से आप कूलर का चुनाव करें। अगर आपके इलाके में सूखा मौसम रहता है और आद्रता यानी ह्यूमिडिटी नहीं रहती है तो आप डेजर्ट कूलर का चुनाव करें। अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां के वातावरण में नमी की मात्रा अधिक है तो आप डेजर्ट की बजाय पर्सनल कूलर का चुनाव करें। अगर आपको कम जगह के लिए हवा चाहिए तो आप पर्सनल कूलर का चुनाव करें। वहीं अगर आपको बड़ी जगह या कमरे के लिए कूलर चाहिए तो आप डेजर्ट कूलर का चुनाव करें।
कमरे के साइज से तय करें कूलर की एयर डिलिवरी
आपको तय करना है कि आपको किस एयर डिलिवरी का कूलर लेना चाहिए। ये इस बात पर निर्भर करता है कि खरीदे जाने वाले कूलर की एयर डिलिवरी कितनी है। कूलर की एयर डिलिवरी CFM (क्यूबिक फीट पर मिनट) में मापी जाती है। अब आप अपने कमरे या जहां के लिए आपको कूलर चाहिए, उसका पूरा एरिया निकाल लीजिए और उसकी हाइट पता कर लीजिए। अब रूम के एरिया से हाइट को गुणा करके उसमें 2 का भाग दे दीजिए। मानिए कि आपका कमरा 20×20 का है और उसकी हाइट 10 फीट है तो आप CFM ऐसे निकालिए। 20×20×10÷2 ये आ गया 2000 CFM। कूलर की एयर डिलिवरी मीटर क्यूब/आर (M3/HR) में मापी जाती है। CFM को क्यूबिक मीटर पर आर में बदलने के लिए आपको 1.69 से गुणा करना होता है। आपका सीएफएम 2000 है तो इसे 1.69 से गुणा करने से 3380 M3/HR आएगा। यानी आप वो कूलर लीजिए जो 3380 M3/HR या इससे अधिक एयर डिलिवरी करे। अगर एक्जैक्ट कूलर ना मिले तो थोड़ा अधिक एयर डिलिवरी वाला कूलर खरीद लें।

कूलर का एयर थ्रो
ये भी एक काम का पहलू है। इसका मतलब है कि आपका कूलर कितनी दूरी तक हवा फेंक सकता है। कम्पनियां कूलर बेचने के लिए इसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती हैं। कई कम्पनियां दावा करती हैं कि उनके कूलर 55 फीट, 60 फीट दूर तक हवा फेंकते हैं लेकिन असल में ये सच नहीं होता। अधिकतर कूलर केवल 20 फीट से लेकर 30 फीट तक ही हवा फेंकते हैं। अगर किसी कूलर पर 40-50 फीट लिखा हो तो केवल उसे पढ़कर ही कूलर ना खरीदें।
कूलिंग पैड का ध्यान रखें
कूलर खरीदते समय कूलिंग पैड का भी ध्यान रखें। कूलिंग पैड ही हवा को ठंडा करने में खासी मदद करते हैं। पहले केवल वुड वूल कूलिंग पैड आते थे लेकिन आजकल हनीकॉम्ब कूलिंग पैड का चलन बढ़ा है। वुड वूल कूलिंग पैड तुलना में सस्ते होते हैं और इनकी लाइफ भी कम होती है। वहीं हनीकॉम्ब कूलिंग पैड तुलनात्मक रूप से महंगे होते हैं लेकिन ये लंबे समय तक चलते हैं और इनकी सर्विस भी अच्छी होती है। इनका मेंटेनेंस भी कम होता है।
वाटर चेंज और एयर वेंटिलेशन
ये सबसे जरूरी बिंदू है। कूलर खरीदते वक्त आप अपने रूम का खास ध्यान रखें। अगर आपके रूम में एयर वेंटिलेशन का सही सिस्टम है तो आप कूलर को खिड़की पर लगा सकते हैं। अगर ऐसा नहीं है तो आप पर्सनल कूलर खरीदें, न कि डेजर्ट। साथ में आप समय-समय पर कूलर का पानी बदलते रहें। कूलर का पानी हर 2-3 दिन में खाली करके ताजा पानी भरते रहें। इससे आपके कूलर में मच्छर नहीं होंगे और साथ ही उसमें से स्मेल आएगी।